Corona the end is near breaking

China के बुहान शहर से एक बीमारी फैली जो धीरे धीरे पूरी दुनिया में फैल गई ।वह शहर में एक महिला मछुआरे को बुखार हुआ ।उसके बारे में कुछ पता ना चल सका और जल्दी वह बीमारी एक महामारी बन गई और धीरे-धीरे दुनिया के 200 देश में फैल गई। उस बीमारी के बारे में किसी को कुछ नहीं पता चला।बड़ी कोशिश के बाद भी उस बीमारी का कोई तोड़ नहीं था ।वैज्ञानिकों ने कई तरह की दवाइयां प्रयोग किया ,जैसे एंटी कैंसर anti-hiv और मलेरिया की दवाइयां ।लेकिन कामयाबी के पास आते आते हमारे हाथ से कामयाबी रेत की तरह फिसल गई ।तब हमें मालूम हुआ कि बीमारी कितनी खतरनाक है। लोगों ने अज्ञानता के चलते इसको पूरी दुनिया फेला दिया ।अमेरिका ,ईटली, स्पेन यहां पर एक बीमारी महामारी बन गई।.. कौन जाने ..?  अगला देश कौन सा है। जो इस बीमारी का उपाय पता लगा सके।अमेरिका में बहुत बुरा हाल है। यह बीमारी का एक ही पहलू है ।दूसरा पहलू दुनिया भर में फैले हुए 500 करोड़ लोग, जो इस बीमारी का कारण कहीं ना कहीं पीड़ित हुए है। उनको बीमारी तो नहीं हुई। लेकिन उन्हें मानसिक तौर पर बहुत आघात पहुंचा है।

 दोस्तों मैं आप और हमारी बातें कर रहा हूं। हम लोग कमरों में कैद है और दुआ कर रहे हैं। बीमारी ठीक होने के लिए, पर बहुत सारे हमारे भाई बंधु उस बीमारी से लड़ रहे हैं। हम चुपचाप असहाय स्थिति में तमाशा देख रहे हैं ।हम अपने दुश्मन से लड़ नहीं सकते ।शायद यह मानसिकता हमें भी मार कर रही है ।हम अपने आप को हारा हुआ महसूस कर रहे हैं ।क्या हम हार गये है।

 अगर ऐसा है तो हम क्या करें दवाइयां अपना काम कर नहीं रही। भगवान हमारी सुन नहीं सकता ,हमारे पास ऐसा कोई शस्त्र नहीं है ।जिससे हम करोना को हरा सके।

 दोस्तों क्या हम जीत पाएंगे या यह हमारा, हमारी पृथ्वी का ,मानव का आखिरी युद्ध है।हमने बहुत सारी बीमारियां देखी है। जिसमें करोड़ों लोग मरे भी हैं ।लेकिन उस वक्त हमारे पास दवाई  व रिसर्च के तकनीक ना के बराबर थी। आज हमारे पास सुपर कंप्यूटर, बड़े-बड़े एनालाइजर और माइक्रोस्कोप है ।हमारे पास ढेरों डाटा है ।लेकिन इस उपाय करने के लिए हमारे पास दिशा नहीं है ।ऐसा नहीं है कि यह बीमारी का कोई तोड़ नहीं है। बल्कि इस बीमारी लड़ने के लिए हमारे पास असत्र भी है और शस्त्र भी है ।हमारे पास ठीक हुए लाखों लोग हैं। वह लोग हमारे लिए बेशकीमती है क्योंकि उन लोगों को शरीर में इस तरह के रसायन है या एंटीबॉडीज है ।जो उस बीमारी से लडे है।लोग एक तरह से बीमारी से vaccinate हुए हैं ।यानी उन्हें बीमारी का वैक्सीन लगा हुआ है। यदि कोई व्यक्ति बीमार होता है उसका शरीर बीमारी के खिलाफ अपने अंदर एंटीबॉडी विकसित कर लेता है। जैसे वैक्सीन में भी ऐसा ही होता है, बीमारी के काफी कमजोर किटाणु या वायरस होते हैं ।शरीर में प्रवेश करके खून मे एटीबाडी विकसित करते हैं ।हमे इन रोगियों के खून पर सर्च करनी चाहिए और उनके खून को उन्हीं की तरह ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों पर चढ़ाना चाहिए। ताकि वह लोग भी एंटीबॉडी विकसित कर सकें। ऐसा करना शायद काफी मुश्किल है ।लेकिन यह करना पड़ेगा ही। ऐसा करने के लिए हमें एक देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया का डाटा चाहिए ।आज दुनिया को एक सेंटर जरूरत है। जहां हम सारा डाटा इकट्ठा कर सकें। वैसे तो डब्ल्यूएचओ यह काम करता है ।लेकिन एक बात और भी है जो किसी से छुपी नहीं कि बहुत सारी कंपनियां ,देश गुपचुप सर्च करते हैं और वह नहीं चाहते कि उनका डाटा सारी दुनिया को पता चले ।क्योंकि वैश्वीकरण के चलते सबको पता है। जो भी देश Coronaकी वैक्सीन या दवाई विकसित करेगा ,देश वैक्सीन और दवाइयां बेच कर, दुनिया का सबसे अमीर देश बन सकता है।

 लेकिन यह वक्त पैसे कमाने का नहीं हमें अपना अस्तित्व बचाने का है। इसके लिए हमें यानी विश्व को दबाव वाली तकनीक इस्तेमाल करनी चाहिए। हर देश पर दबाव डालना चाहिए कि वह डाटा सार्वजनिक करें और मिलजुलकर हम इसका निकाल सके।
 मेरा दिया हुआ सुझाव केवल एक विचार है ।लेकिन कई वर्षों तक मेडिकल काम करने के बाद, जैसे मैंने इस टेक्निक को महसूस किया है। यह  बीमारी के लिए रामबाण इलाज है ।अगर मेरी यह बातें आप तक पहुंचती हैं और आप लोग दुनिया तक पहुंचाते  हो ।तो हम सब मिलकर करोना से मुक्त हो सकते हैं ।

कल इसी टॉपिक पर मैं आपको ओर डिटेल मे बताऊंगा ।क्योंकि अभी मैं इसके डाटा पर काम कर रहा हूं ।

आपका धन्यवाद।

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